बुधवार, 28 दिसंबर 2016

वादा करके वो ज़ालिम मुकर जायेगा.


ग़ज़ल

वादा करके वो ज़ालिम मुकर जायेगा.
राह तक तक के हर दिन गुज़र जायेगा.

तू भी पछतायेगा देख मेरी तरह,
ये नशा इश्क़ का जब उतर जायेगा.

और भी उसकी गुस्ताख़ियां बढ़ गयीं,
हमने सोचा था इक दिन सुधर जायेगा.

अपनी ख़ुश्बू पे इतरा न ओ संगेदिल,
आँधियां गर चलीं तो बिखर जायेगा.

अपना दिल भी पहाड़ों की मानिंद है,
ना इधर जायेगा ना उधर जायेगा.

नाज़ हमने उठाये तेरे आज तक,
हम ना होंगे तो फिर तू किधर जायेगा.

शौक़ से दौड़ ले अपने चारों तरफ,
ठेस दिल को लगेगी ठहर जायेगा.

डॉ. सुभाष भदौरिया  गुजरात  ता. 28/11/2016


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