ग़ज़ल
बेवफ़ा
कहके बुलाया तो बुरा मान गये.
आईना
उनको दिखाया तो बुरा मान गये.
कब तलक
रहते अँधेरों में, बताओ तुम ही,
हमने
एक दीप जलाया, तो बुरा मान गये.
तुम नहीं
और सही , और नहीं , और सही.
फैसला
हमने सुनाया तो बुरा मान गये.
चैन अपना
वो चुरायें, तो कोई बात नहीं,
चैन हमने
जो चुराया, तो बुरा मान गये.
दिल दुखाने
का उन्हें शौक, बहुत था अब तक,
दिल को
हमने जो दुखाया, तो बुरा मान गये.
वो घुमाते
हैं बहुत सबको अपनी बातों में,
हमने
जो उनको घुमाया तो बुरा मान गये.
डॉ. सुभाष
भदौरिया गुजरात ता. 17-03-2017
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