गुरुवार, 1 जून 2017

धूप में जल रहे हैं कदम दोस्तो.

ग़ज़ल
धूप में जल रहे हैं कदम दोस्तो.
साथ में सिर्फ अपने हैं ग़म दोस्तो.

साथ में आजकल वो कहां हैं मेरे ?
साथ खाई थी जिसने कसम दोस्तो.

वक़्त आया तो हमको पता ये चला,
हमको कितने थे झूटे भरम दोस्तो.

ग़ैर तो ग़ैर उनका गिला क्या करें,
अपनों के भी बहुत हैं करम दोस्तों.

याद फिर उसकी आयी बहुत देर तक,
आँख फिर हो गयी अपनी नम दोस्तों.

मोम के वो नहीं जो पिघल जायेंगे,
अपने पत्थर के हैं इक सनम दोस्तों.


डॉ.सुभाष भदौरिया गुजरात ता.01-06-2017

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