मंगलवार, 5 सितंबर 2017

हमको गुरू घंट मिले ऐसे. अँधों को बटेर मिले जैसे.


गुरू महिमा.
हमको गुरू घंट मिले ऐसे. अँधों को बटेर मिले जैसे.

हमको दुत्कारत थे हर दम, वे प्रीत करत थे छोरिन ते.
हम द्वार पे ठाड़े राह तकें वे इश्क़ करे कुलबोरन ते.

पंछी वे हमाये उड़ाये सदा, फिर फाँसत थे बलजोरिन ते.
हमको तलफत वे छोड़ गये वे जाय फँसे हैं औरन ते.

हमरी वो पंतग को काटत थे,आँखें वो दिखाय के क्रोधन ते.
नीबू सा निचोड़ हमें फेंकें, वे चाटें चटा चटकोरन ते.

हे नरक के वासी निवासी गुरू हम सादर याद तुम्हें करते.
आवेंगे कछु दिन में हमहुँ, तुम धीर धरो अपने मन ते.

परम पावन अपने महागुरू की याद में शिक्षक दिवस पे.

डॉ. सुभाष भदौरिया ता.05-09-2017


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