ग़ज़ल
अश्कों को इन आँखों से
बर्बाद किया जाये.
उस बेवफ़ा को फिर से अब याद
किया जाये.
टूटे जो मकां कोई आबाद करें
उसको,
टूटा हुआ ये दिल ना आबाद
किया जाये.
सूरत ही नहीं मिलती अब तेरी
किसी से भी,
फिर कैसे कहो दूजा इर्शाद किया जाये.
हम लाख करें कोशिश उस शै को
भुलाने की,
पर मोम सा ये दिल ना फौलाद
किया जाये.
उसने तो बिछुड़ते दम रो रो
के कहा मुझ से,
क़ैदी तू उमर भर ना आज़ाद
किया जाये.
डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता.29-01-2018
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