ग़ज़ल
चार दिन की खुशियों ने उम्र भर रूलाया
है.
इक हसीन चेहरे ने बहुत दिल दुखाया है.
रात कैसे कटती है दिन का हाल मत पूछो.
बेवफ़ा से हमने ये जब से दिल लगाया है.
दिल की बात होटों पे लाख हम ना आने दें,
उतनी ही बयां होती जितना ही छुपाया है.
उनकी सुर्ख आँखों का राज़ हमसे मत पूछो,
हाथ कल मेरे आये रात भर जगाया है.
मेरे पास आने को अब वो गिड़गिड़ाये है,
मेरा दूर जाना भी खूब रंग लाया है.
डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता, 14-03-2018
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